Right to life kya hai ?/ Article 21 kya hai?
भूमिका (प्रस्तावना)
मनुष्य के रूप में, जीवन का अधिकार हमारे अस्तित्व का सार है। जीवन का अधिकार सभी अधिकारों में सबसे बुनियादी है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब मनुष्य जीवित रहेगा अर्थात् उसका जीवन सुरक्षित रहेगा तभी वह अपने जीवन के अन्य कार्यों व उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम होगा।
अतः जीवन का अधिकार हमारे अस्तित्व के लिए मौलिक है : इसके बिना मनुष्य के रूप में जीवित रहने में असमर्थ होगें। क्योकि हम अपने जीवन को जीने लायक और सम्पूर्ण बनाने के लिए स्वास्थ्य, स्वतन्त्रा, सुरक्षा आदि जैसे अन्य सभी सम्बद्ध तत्वों तक पहुँचे बिना पूरी तरह से मनुष्य के रूप में जीवित नहीं रह सकते है। इस प्रकार, इसमें न्यूनतम आवश्यकताएं शामिल हैं जो प्रत्येक इंसान को उपलब्ध कराई जानी चाहिए ताकि वह पूरी तरह से जीने में सक्षम हो और इस जीवन का अधिकतम लाभ उठा सके। भारत में जीवन के अधिकार को बहुत व्यापक अर्थ दिया गया है। अनुच्छेद-21 और इसकी न्यायिक व्याख्याओं के अनुसार, जीवन केवल सांस लेने की शारीरिक क्रिया नहीं है। यह अधिकार (मात्र) पशु अस्तित्व से परे है और इसमें अन्य तत्व भी शामिल है। इसमें सम्मान के साथ जीने का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, आजीवका का अधिकार, निजता का अधिकार और इसी तरह के अन्य अधिकार भी शामिल है।
निसंदेह, यह अन्य सभी मौलिक अधिकारो में सबसे महत्वपूर्ण है। यह उन सभी में प्राथमिक होने के कारण अन्य सभी अधिकारों के लिए समर्थन प्रणाली बनाता है।
क्या है आर्टिकल - 21 (जीवन का अधिकार)
भारतीय संविधान का अनुच्छेद-21 एक मौलिक अधिकार है और यह भारतीय संविधान के भाग-3 में शामिल है। यह अधिकार सभी नागरिकों के साथ-साथ गैर नागरिकों को भी समान रूप से उपलब्ध है।
अनुच्छेद-21 में कहा गया है कि "कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतन्त्रता से वंचित नही किया जाएगा। इस प्रकार अनुच्छेद-21 दो अधिकारों को सुरक्षित करता है जीवन का अधिकार और व्यक्तिगत स्वतन्त्रता का अधिकार। इस अधिकार को संविधान का हृदय माना गया है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में वर्णित विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया जापान के संविधान से ली गयी है।
अनुच्छेद-21 में अधिकारों का विस्तार
उच्चतम न्यायालय ने मेनका मामले में अपने फसले को दोबारा स्थापित किया। इसमें अनुच्छेद 21 के भाग के रूप में निम्नलिखित अधिकारो की घोषणा कीः-
1-जीवन रक्षा का अधिकार।
2- मानवीय प्रतिष्ठा के साथ जीने का अधिकार।
3- स्वास्थ का अधिकार
4- निजता का अधिकार।
5- आश्रय का अधिकार।
6- स्वच्छ पर्यावरण-प्रदूषण रहित जल एवं वायु में जीने का अधिकार एवं हानिकारक उद्योगो के विरूद्व सुरक्षा।
7- 14 वर्ष की उम्र तक निःशुल्क शिक्षा का अधिकार।
8- निःशुल्क कानूनी सहायता का अधिकार।
9-त्वरित सुनवाई का अधिकार।
10- हथकड़ी लगाने के विरूद्व अधिकार।
11- अमानवीय व्यवहार के विरूद्ध अधिकार ।
12- विदेश यात्रा करने का अधिकार ।
13- बंधुआ मजदूरी करने के विरूद्व अधिकार।
14- हिरासत में शोषण के विरूद्व अधिकार।
15- अपातकालीन चिकित्सा सुविधा का अधिकार।
16- सरकार अस्पतालों में समय पर उचित इलाज का अधिकार।
17- कैदी के लिए जीवन की आवश्यकताओ का अधिकार ।
18- महिलाओ के साथ आदर और सम्मानपूर्वक व्यवहार करने का अधिकार ।
19- सूचना का अधिकार।
20- प्रतिष्ठा का अधिकार।
21- पारिवारिक पेंशन का अधिकार।
22- शयन का अधिकार।
23- शोर प्रदूषण से मुक्ति का अधिकार ।
24- अवसर का अधिकार ।
भारतीय संविधान में वर्णित मूल अधिकारो में जीवन का अधिकार सर्वोपरि है जो मूल अधिकारो की सार्थकता को दर्शाता है......... आपका ब्लॉग बहुत अच्छा और सार्गर्भित था शुभकामनायें 💐
ReplyDeleteजी बहुत बहुत धन्यवाद🙏
ReplyDeleteहमारे भारतीय संविधान में वर्णित अनुच्छेद 21 के विस्तार को अपने बहुत ही सरल शब्दों में समझाया है। मुझे विश्वास है कि आप को इस विषय में रुचि के साथ साथ ही विशेषज्ञता भी है।
ReplyDeleteआपको बहुत बहुत शुभकामनाएं ।