भारतीय संविधान की विशेषताएं/Features of Indian Constitution

 


भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएँ

    संविधान जीवन का वह मार्ग है जिसे राज्य ने अपने लिए चुना है। भारतीय संविधान तत्व और मूल भावना के दृष्टि से अद्वितीय है। हालांकि इसके कई तत्व विश्व के विभिन्न संविधानों से उधार लिए गए हैं, भारतीय संविधान के कई ऐसे तत्व हैं और उसकी अनेक ऐसी विशेषताएं हैं जो उसे अन्य देशों के संविधान से अलग पहचान प्रदान कराती है। 

संविधान के वर्तमान रूप में इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं–

1. सबसे लंबा लिखित संविधान:

   भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। यह बहुत बृहद समग्र और विस्तृत दस्तावेज है। इसकी विशालता का सबसे प्रमुख कारण केंद्रीय तथा प्रांतीय दोनों सरकारों के गठन तथा उनकी शक्तियों का विस्तृत वर्णन है। भारत के मूल संविधान में कुल 395 अनुच्छेद 8 अनुसूचियां तथा 22 भाग थे वर्तमान में अनुसूचियों की संख्या 12 है और अनुच्छेदों की संख्या लगभग 400 से अधिक है। 

2. संघीय व्यवस्था:

भारत में संघीय व्यवस्था है, जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन है। हालांकि, इसमें एकात्मक विशेषताएं भी हैं, जैसे मजबूत केंद्र और एकल नागरिकता।

3. संसदीय प्रणाली:

भारत में संसदीय प्रणाली है, जहां कार्यपालिका विधायिका के प्रति जवाबदेह है। राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख है, जबकि प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख है।

4. मौलिक अधिकार:

संविधान नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है, जिनमें शामिल हैं:

- समानता का अधिकार

- स्वतंत्रता का अधिकार

- शोषण के विरुद्ध अधिकार

- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

- सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार

- संवैधानिक उपचारों का अधिकार

5. राज्य के नीति निर्देशक तत्व:

ये सरकार के लिए सामाजिक और आर्थिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं। ये न्यायालय द्वारा लागू नहीं किए जा सकते, लेकिन शासन में महत्वपूर्ण हैं।

6. मौलिक कर्तव्य:

मौलिक कर्तव्य का समावेश मूल संविधान में नहीं था। सरदार स्वर्ण सिंह समिति के सिफारिश पर 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा संविधान में भाग 4-क और अनुच्छेद 51 -क को जोड़कर कुल 10 मौलिक कर्तव्यों को शामिल किया गया। इसे रूस के संविधान से लिया गया था। 

7. धर्मनिरपेक्षता:

संविधान यह सुनिश्चित करता है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां सभी धर्मों को समान रूप से माना जाता है और राज्य किसी विशेष धर्म को बढ़ावा नहीं देता।

8. स्वतंत्र न्यायपालिका:

न्यायपालिका स्वतंत्र है और संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करती है। सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक समीक्षा की शक्ति प्राप्त है और वह कानूनों को असंवैधानिक घोषित कर सकता है।

9. एकल नागरिकता:

भारत में एकल नागरिकता है, जो देश की एकता और अखंडता को बढ़ावा देती है।

10. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार:

18 वर्ष से अधिक आयु के हर नागरिक को मतदान का अधिकार है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सरकार जनता द्वारा चुनी जाती है।

11. संविधान की सर्वोच्चता:

हमारा संविधान सर्वोपरि है क्योंकि सरकार के सभी अंग (कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका) इसी से अपनी शक्तियां प्राप्त करते हैं।  भारत में संविधान को सर्वोच्च स्थान प्रदान किया गया है। भारत में शक्ति के स्रोत के रूप में संविधान सर्वोच्च है। 

12. आपातकालीन प्रावधान:

संविधान में राष्ट्रीय आपातकाल, वित्तीय आपातकाल और राज्यों में संवैधानिक आपातकाल जैसे संकट के समय के लिए प्रावधान हैं।


13. संशोधनीयता:

संविधान में संशोधन किया जा सकता है, जिससे यह बदलते समय के साथ विकसित हो सके। हालांकि, कुछ संशोधनों के लिए संसद में विशेष बहुमत और राज्यों की मंजूरी की आवश्यकता होती है।


14.विशेष प्रावधान:

संविधान में अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए विशेष प्रावधान हैं, जो सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देते हैं।

15. नम्यता एवं अनम्यता का समन्वय:

संशोधन की दृष्टि से संविधान नम्य (Flexible) तथा अनाम में (Rigid) दो प्रकार का होता है। वह संविधान जिनमें संशोधन की प्रक्रिया जटिल होती है अनम्य (कठोर) संविधान तथा वह संविधान जिसमें संशोधन सरलता से किया जा सकता है नम्य संविधान कहलाते हैं भारतीय संविधान में संशोधन संसद द्वारा साधारण बहुमत, विशेष बहुमत तथा विशेष बहुमत और आधे राज्यों के अनुसमर्थन द्वारा किया जा सकता है। इस प्रकार कुछ उपबंध तो आसानी से किंतु कुछ उपबंध कठिनाई से संशोधित किए जाते हैं, जिसके कारण  इसे नम्यता व अनम्यता का अनोखा मिश्रण कहा जाता है। 


     संक्षेप में भारत का नवीन संविधान जनता की प्रभुसत्ता के मूल सिद्धांत पर आधारित है तथा भारतीय जनता की वास्तविक एकता का प्रतीक है। भारतीय संविधान के स्वरूप और विशेषताओं से स्पष्ट है कि भारत का संविधान एक ऐसा आदर्श प्रलेख है जिसमें सिद्धांत और व्यावहारिकता का श्रेष्ठ समन्वय है।  

     इन विशेषताओं के साथ, भारतीय संविधान एक गतिशील और समावेशी दस्तावेज है, जो एक विविध और विशाल देश की जरूरतों को संतुलित करने का प्रयास करता है।

Comments

  1. काफी सरलता से अपने भारतीय संविधान की विशेषताओं का वर्णन किया है
    Good 👍

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  2. इस कथन के माध्यम से समझा जा सकता है कि जीवन को लंबा जीने की जिद्द रखे बिना, हमें जीवन को महानता के साथ जीना चाहिए।

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